ये डर लेकर जीने वाली कुछ आकृतियाँ बिना वज़ुद या किसी ठोस अंश के चलती है।
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मेरे ख्याल से गैस सर में चढ़ने के पीछे प्राचीन मान्यता है कि भोजन का, (उपयोगी भाग का), ठोस अंश शरीर के ठोस भाग में जाता है, तरल अंश रक्त में, और गैस प्राण में,,, जहां प्राण से तात्पर्य सांस से था, जो शायद काल के प्रभाव से ' माथा ' माने जाना लगा होगा:)